Vat Savitri Vrat Mahatv: यूपी-बिहार समेत कई राज्यों में पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य पाने के लिए महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर बिना कुछ खाए पिए उनकी सलामती की कामना करती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस व्रत का क्या महत्व है और इसकी पूजा करने की विधि क्या है।
Vat Savitri का शुभ मुहूर्त
Vat Savitri हर साल जेष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है इस बार ये व्रत 19 मई 2023 दिन शुक्रवार को पड़ रहा है जो 18 मई की रात 9 बजकर 42 मिनट पर शुरु होगा और 19 मई की रात 9 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगा, लेकिन वट सावित्री की पूजा उदयातिथि के अनुसार की जाती है इसलिए ये व्रत 19 मई को ही रखा जाएगा।
Vat Savitri व्रत का क्या है महत्व?
धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक Vat Savitri का विशेष महत्व है। कहते हैं इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दाम्पत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि वट की पूजा करने से जीवन में आर ही सभी तरह की परेशानियां दूर होती है और दाम्पत्य जीवन में कभी समस्या नहीं आती।
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यहां जानें पूरी पूजा विधि
- वट सावित्री व्रत वाले दिन उपवास रखने वाली महिलाएं सुबह-सुबह उठकर घर की अच्छी तरह सफाई करें।
- इसके बाद नहाधोकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- अब बरगद के पेड़ के नीचे बांस की टोकरी में 7 तरह के अनाजों को भरकर उसमें ब्रह्मा जी की मूर्ति या फोटो की स्थापना करें।
- एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की मूर्ति को भी स्थापित करें।
- अब वट वृक्ष पर जल, कुमकुम, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं।
- इसके बाद सूत के धागे को बरगद के पेड़ से बांधकर कर 7 बार प्रकरिमा करें।
- इसके बाद देवी सावित्री की कथा सुनें और आखिरी में चने और गुड़ का प्रसाद बांटे।
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